प्रकृति रूपी जीवन

देखो! सूर्य का उदय हुआ
धरती पर नवोदय हुआ
पक्षी चहचहा उठे हैं
पशु लहलहा उठे हैं
फसलें हवा में उड़ रही हैं
कुछ कर दिखाने की आशा उठ रही है
सूर्य की किरणें फैल चुकी हैं
बादलों में आकृतियां बन चुकी हैं

पेड़-पौधों में खुशहाली छाई है
चीटियां दाना उठाने आई हैं
पक्षियों की उड़ान जारी है
क्षितिज के पार जाने की आशा भारी है
नदी-झरनों में पानी है
मछलियों की हलचल जारी है
फूलों में हवा की आहट है
सभी जगह सुगंध की चाहत है

प्रकृति की सुंदरता छाई है
सभी को यह दृश्य भाई है
जीवन में खुशहाली छाई है
फिर किस बात की चाहत आई है
किस बात की लड़ाई है
सूर्यास्त की स्थिति आई है
सूर्य की अंतिम विदाई है
चांद-तारों की खूबसूरती छाई है

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